साधु महाराज बना बाघ

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साधु महाराज बना बाघ

एक जंगल में एक बाघ रहता था। वह अब बूढ़ा हो गया था। उसकी ताकत चली गई थी। उसने सोचा, “मैं अब और शिकार नहीं कर सकता। अब मुझे अपना पेट भरने के लिए कुछ तो करना हि होगा।”

बाघ ने बहुत सोचा। उनके पास एक अद्भुत विचार था। उन्होंने घोषणा की, “मैं अब बहुत बूढ़ा हो गया हूं। अब मैं अपना शेष जीवन धार्मिक रूप से व्यतीत करूंगा। मैं अब केवल घास और फल हि खाऊँगा और मैं लगातार भगवान का जाप करूंगा। मैं अब जंगली जानवरों को और नहीं डराना चाहता।” कुछ भोले जानवरों ने बाघ की बातों पर विश्वास किया। उन्होंने कहा, “कितने महान संत हैं! हमें उनसे अवश्य मिलना चाहिए। उसे देखा जाना चाहिए। ”

फिर रोज कोई न कोई जानवर बाघ से मिलने उसकी गुफा में जाने लगा। बाघ उन भोले-भाले जानवरों को पकड़ लेता था। वह उन्हें मार कर खा जाता था। इस प्रकार वह बूढ़ा बाघ अपना पेट भरने लगा था।

एक दिन एक लोमड़ी को इस साधु महाराज बने बाघ के बारे में पता चला। उसने अपने आप से कहा, “बाघ घास और फल कैसे खा सकता है?” मैं इस पर यकीन नहीं करती। मैं खुद जाऊंगी और सच्चाई का पता लगाऊंगी। “

अगले दिन लोमड़ी बाघ की मांद में गई। वह गुफा के दरवाजे पर रुक गई। उसने देखा कि गुफा में गए जानवर के पैरों के निशान जमीन पर रह गए हैं। लोमड़ी ने स्थिति पर बारीकी से नजर रखी। वह केवल गुफा की ओर यानि अन्दर जाने वाले पैरों के निशान देख सकती थी। लेकिन उसे गुफा से बाहर आने वाले जानवरों के कोई निशान नहीं मिल सके। उसने ठाण लिया और कहा, “मैं इस पाखंडी साधु महाराज बने बाघ को जीवित रखने के लिए अपनी जान नहीं दूंगी !” और लोमड़ी वहांसे बाहर से हि लौट आ गई।

क्या कहती है यह कहानी !

-अर्थ और बोध

कहानी का मुख्य पात्र एक बुढा बाघ है। जो अब शिकार न कर सकने की वजह से अपना पेट भर नहीं सकता। तो उसने होशियारी दिखाते हुए जानवरों की शिकार से निवृत्ति की घोषणा करते हुए कहा की, मै अपना उर्वरित जिवन शाकाहारी रहकर गुजारूँगा। बूढ़े बाघ की इस झूठी बात में आकर कुछ जानवर फंस गए और अपनी जान गवां बैठे।

 कहानी से सीख़ :

यह कहानी, यह दर्शाती है की,

भिक्षुओं के वेश में पाखंडियों पर कभी विश्वास न करें। किसी की भावनात्मक, ढोंगी बातों में आकर और विश्वास करके अपने आप को मुश्किल में ला सकते है।

हमे इस कहानी से यह सिख मिलती है की, हम किसी के बहकावे में आकर अपने लिए कभी भी कठिन हालात पैदा कर सकते है। अपने जीवन में किसी पर या उसकी बातपर विश्वास करने से पहले सही विचार करे और सही निर्णय लें।

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