वो सिर्फ माँ ही होती है

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वो सिर्फ माँ ही होती है

 मां, दुनिया का सबसे प्यारा तोहफा है। मां, भगवान का रुप होती है, जो न सिर्फअपने बच्चों से निस्वार्थप्यार करती है, बल्कि उनकी खुशी के लिए किसी भी हद तक गुजर सकती है। मां, हर इंसान की शक्तिऔर ताकत होती है।

मां न सिर्फनौ महीने अपनी कोख में रखकर दर्दसहकर अपने बच्चे को नया जीवन देती है, बल्कि पूरी जिंदगी साए की तरह अपने बच्चों का साथ देती है। वे लोग दुनिया के सबसे खुशनसीब लोग होते हैं, जिनके पास मां होती है, मां की बेहिसाब ममता को चंद शब्दों में नहीं पिरोया जा सकता । इस सृष्टि की रचयिता ,नारी शक्तिका प्रतिक , वात्सल्य प्रेम की प्रतिमूर्तिविश्वकी सभी माताओं के लिए मेरे कुछ भावपूर्णशब्द मेरी ओर से सप्रेम समर्पित !

वो सिर्फमाँ ही होती है !

   एक माँ का प्यार ही सब कुछ होता है। यह वही है जो एक बच्चे को इस दुनिया में लाती है। यह वही है जो उनके पूरे अस्तित्व को ढालती है। जब भी एक माँ अपने बच्चे को खतरे में देखती है, तो वह सचमुच कुछ भी करने में सक्षम हो जाती है। एक माँ का प्यार मनुष्य के लिए सबसे मजबूत ऊर्जा है। अपने बच्चे का पहला गुरु माँ ही होती है। मातृत्व के एहसास से जो फूले ना समाती वह माता होती है । जो नौ माह तक गर्भ में बच्चे को रक्तपान कराती है । पेट में बच्चे की पहली आहट सुनकर वह दर्दखुशी से सह लेती है और स्वयं से ही दर्द और खुशी सब कुछ कह लेती है । क्योंकि, मातृत्व के आनंद के साथ रिश्तो का आभास होता है वह। खुद प्रसव पीड़ा सह कर पिता का नाम देती है । खुद दर्द सह लेकर के भी वह परिवार का प्रकाश है और शिशु के प्रथम क्रंदन पर जो फूले ना समाती है वह भी एक माँ ही होती है।

 माँ के कंधे पर जब मेरा सर रखा, और पूछा माँ से कब तक युही अपने कंधेपर सोने देगी….. माँ ने कहा बेटा तब तक की जब तक लोग मुझे अपने कंधे पर उठा नहीं लेंगे

बिना संगीत सीखे ही बच्चों के रोने पर वो पंचम सुर में लोरिया गाती है हर घर की माँ, प्रेम की प्रतिभूति और त्याग का पैगाम देती है । अपनी उंगलियों से पकड़कर वह पहली बार चलना सिखाती है। अपने प्यारे हाथो से वह पहली बार खिलाती है। चलते हुए गिरने पर उसका वो घबराना, तोता मैना की कहानी सुनाकर बड़े प्यार से खाना खिलाना । वह आदि गुरु है ,जननि है सभ्यता और संस्कार की । इसीलिए, मानवजीवन में मां बसती है, उसका वास होता है। रचयिता है पूरे संसार की । मां के आंसू जिस घर निकले, वह घर कभी भी उठ नहीं सकता है और मां के चरण रहे जिस घर में, वह घर कभी टुट नहीं सकता । शीश महल से हर घर में, मां का भी एक अटल स्थान रहना चाहिए।

   जिस घर में माँ होती हैं, वहा सब कुछ सही रहता हैं। नव पीढ़ी की चकाचौंध में, वह पीछे रह जाती है । उसका अनादर न हो, इसका हमें ध्यान रहना चाहिए। क्योंकि,माँ की ममता जब जागती है, तों वह हर जहाँ की प्रेम व खुशियाँ बिखेरती है। कोई उसको कुछ भी कह दे, चुपके से सह जाएगी । तुमसे वो कुछ कह ना पाती, आंसू पीकर रह जाती है । कल तक जिस घर की मुखिया थी, वह अब जख्में सीकर रहती है । कैसी हो माँ सुनते ही, झट से जो खुश होती है । क्यों की, दोस्तों इस जहां में वो सिर्फमाँ ही होती है ।

 “स्वीकृति, सहनशीलता, बहादुरी, करुणा। ये वो चीजें हैं जो माँ सिखाती हैं।

आजकल, लोगोने चकाचौंध से इस दुनिया से अपना रिश्ता जोड़ लिया और अपनी मां को छोड़ दिया । नही चाहिए किसी भी मां को दौलत, परिवार में हर व्यक्तिके दिल में थोड़ा सा स्थान मिले तो वह फुले न समाए । नव पीढ़ी का स्वागत होना चाहिए पर, माँ को भी परिवार में उसका सम्मान मिले यह नए पीढ़ी का कर्त्तव्य है। जब तक वह इस जहाँ में है, तुम उसकी सेवा कर लो बाद में तुम पछताओगे। फिर शायद उनकी प्रतिमा या मूरत भले मिले पर,माँ को कभी भी मिल न पाओगे । माँ की कीमत उनसे पूछो, जिनकी माँ ना होती है, क्योंकि पतझढ़ सा होता है जीवन उनका, चाहे पास में मोती भी हो। एक बार जो खोती है ना मिलेगी कभी दोबारा इसीलिए, दोस्तों इस जहां में वो, सिर्फ माँ ही होती है। काश् ! मेरी माँ मेरे पास होती !!!

खुदा का काम था मोहब्बत, वो माँ करने लगी…

खुदा का काम था हिफाजत, वो माँ करने लगी….

खुदा का काम था बरकत, वो भी माँ करने लगी…

देखते ही देखते उसकी आँखों के सामने

कोई और परवरदिगार हो गया….

वो बहुत मायूस हुआ, बहुत पछताया.. क्योंकि..

माँ को बनाकर, खुदा बेरोजगार हो गया..

 कविता सार – वो सिर्फ माँ ही होती , से विश्लेषण अंश ।

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