तुझसे हारा नहीं मै

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तुझसे हारा नहीं मै

तुझसे हारा नहीं मै अभी जिदंगी, बस थक गया हूँ ।

थक गया हूँ खुद को सही और काबिल साबित करते करते,
जैसे जी रहा हूँ जिदंगी का हर पल डरते डरते ।
भुलाने बैठा था अपनी यादों को और कहीं खो मै गया हूँ,
तुझसे हारा नहीं मै अभी जिदंगी, बस थक गया हूँ ।

डर लगता है की जैसे कोई फिर से रूठ न जाए,
डर लगता है की कहीं ये दिल फिर से टूट न जाए ।
दूसरों को मनाते- मनाते कहीं खुद से रूठ मै गया हूँ ,
तुझसे हारा नहीं मै अभी जिदंगी, बस थक गया हूँ ।

जी रहें हैं सब यहाँ न जाने किसी झूठी शान में,
और ढूंढते हैं खुशियाँ यहाँ इंटरनेट की दुकान पे।
खरीदने चला था खुद की खुशियों को और लुट मै चुका हूँ ,
तुझसे हारा तो नहीं मै अभी जिदंगी, बस थक गया हूँ ।

यूँ तो अक्सर होती है नये लोगों से हर मोड़ पर मुलाकात,
काश के वो सब भी आते होते एक्सपैरी डेट के साथ ।
अपनों को खोने के डर मे जी कर कहीं खुद को ही खो चुका हूँ ।
तुझसे हारा नहीं मै अभी जिदंगी,बस थक गया हूँ ।

अब नही हारना तुझसे क्योकी तेरी सारी शरारतो को समझ चुका हूँ ।
तुझसे हारा नहीं मै अभी जिदंगी, बस तुझे समझ चुका हूँ ।

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