सोशल मीडिया का बढ़ता उपयोग – मानवी जीवनपर इसके परिणाम

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सोशल मीडिया का बढ़ता उपयोग – मानवी जीवनपर इसके परिणाम

कुछ साल पहले, सामाजिक बैठकों, संचार, व्यक्तिगत, शारीरिक बातचीत और उपस्थिति के साथ पत्राचार का माहौल था, हमने कुछ साल पहले देखा था कि कैसे कॉलोनी हॉल में समाज की बैठकें बुलाई / आयोजित की जाती हैं। हमने देखा था कि हमारी कॉलोनी और कॉर्नर मीटिंग्स में लोग किस तरह से विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर रहे थे। आजकल यह दृश्य इतिहास, यादें या दुर्लभ हो गया है। सोशल मीडिया, इंटरनेट  हमारे जीवन में प्रवेश का कारण बनता जा रहा है। अगले कुछ वर्षों में हमे इस तंत्रज्ञान को अपनाते हुए हमें मानव जाती को भी सवारना होगा, संभलना होगा। क्योंकि मीडिया का अत्यधिक उपयोग में हम खुद को भूलते जा रहे। ध्यान रखे कि यह मीडिया  फीवर हमपर हावी तो नही हो रहा। हम नए वर्ष में नए तकनीक के साथ अपना कदम रख रहे है, मगर जरूरी है कि इस  फीवर को नए साल में कैसे काबू में रखे।

सोशल मीडिया क्या है?

सोशल मीडिया नवीनतम और उन्नत मीडिया / संचार का स्रोत है। चैट, हमारे रिश्तेदारों, दोस्तों, प्रेमिका के बीच बैठकें और मोबाइल इंटरनेट का उपयोग करके वीडियो कॉलिंग के माध्यम से मीटिंग, नोटपैड, डेटाबेस के साथ चैट और बातचीत  इसके साथ व्यावसायिक उद्देश्यों में भी उपयोग किया जाता है। मानव जीवन में सोशल मीडिया का प्रवेश कंप्यूटर विज्ञान की क्रांति है। आज की मोबाइल तकनीक-मीडिया अब हमेशा के लिए हमारे जीवन का साथी बनता जा रहा है। किसी के पास यह एक दोस्त की तरह है, किसी के पास जीवन साथी है, तो किसी के पास बहुत जरूरी स्रोत हैं।

 सोशल मीडिया से मानव जीवनपर क्या प्रभाव पड़ता है?एक अवलोकन

एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर जैसे, व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम आदि को विशेष रूप से समाज की युवा पीढ़ी को आकर्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आजकल, युवा पीढ़ी ज्यादातर दुनिया भर में इन अनुप्रयोगों का उपयोग कर रही है। सोशल मीडिया ऐप्स के उपयोगकर्ता के कारण अब दुनिया भर में अधिक लोकप्रिय हो गए हैं। हाल के वर्ष में तो यह दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। युवा लोग सोशल मीडिया पर अधिक निर्भर होते जा रहे हैं, उनके बीच संवाद ज्यादातर सोशल वेब पर ही होता है। यहां तक ​​कि वे एक ही कार्यालय, एक ही परिसर में काम कर रहे हो। सोशल मीडिया के लगातार उपयोग से इन लोगों के बीच शारीरिक बातचीत में कमी आ रही है। नए वर्ष में अपना कदम बढ़ाते हुए हमें इन बढ़ती परेशानियों को भी निपटना होगा।

  दूसरी ओर एक ही परिवार के सदस्य भी एक-दूसरे से संवाद करने के लिए लगातार मीडिया का उपयोग कर रहे हैं, हाल के वर्षों में पारिवारिक दूरी के मुद्दे पैदा कर रहे हैं। पारिवारिक माहौल अब तनावपूर्ण होता जा रहा है। व्यक्तिगत मुलाकातों की कमी का कारण, परिवार के सदस्यों के बीच कम बातचीत। बच्चे, यहां तक ​​कि उनके माता-पिता भी ज्यादातर समय सोशल मीडिया में व्यस्त रहते हैं। इसके कारण परिवार प्रशासन यह वर्तमान में सभी परिवारों में नया मुद्दा बनता जा रहा है। परिवार के सदस्य अपना अधिकांश समय व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम मीडिया पर बिताते हैं, उससे अधिक तनाव का कारण बनते हैं। स्थायी स्वभाव और एकाग्रता खो देते हैं; पारिवारिक कार्य वितरण की समस्याएँ भी पैदा करता है। साथ ही हाल के दिनों में हमारी परंपरा, धार्मिक गतिविधियों को भूलते जा रहे है। नववर्ष का स्वागत करते हुए सोशल मीडिया  के कुछ अच्छे और बुरे परिणामों पर गौर करना चाहिए।

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सोशल मीडिया के फायदे और नुकसान क्या हैं?

मानव जीवनपर सोशल मीडिया के कुछ प्रभाव इस तरह से है।

A.सकारात्मक प्रभाव –

  • असीमित दूरी की बातचीत, हमारे रिश्तेदार, दोस्तों और व्यावसायिक बैठकों के अनुरूप।
  • कभी भी, कहीं भी 24/7 तकनीक उपलब्ध है, जिससे मानव जीवन बहुत आसान हो गया है।
  • वीडियो कॉलिंग, आमने-सामने बातचीत की सुविधा।
  • डेटाबेस, ऑडियो, वीडियो, विजुअल कम्युनिकेबल ऐप्स।
  • बातचीत के तत्काल स्रोत, डेटाबेस, पत्राचार आदि फिर कोई अन्य प्रणाली।
  • बोर्ड चर्चा, करंट अफेयर्स, त्योहार की बधाई भेजने आदि के लिए उत्कृष्ट मंच।
  • परिवार, सामाजिक संबंध या दोस्ती को विकसित करने, बनाए रखने का उत्कृष्ट माध्यम।

बी नकारात्मक प्रभाव-

  • युवा पीढ़ी अपने उभरते हुए आयु में सोशल मीडिया की अधिक आदी हो गई।
  • आजकल कीमती समय सिर्फ समय व्यतीत करना बन गया है।
  • लोग ज्यादा सुस्त होते जा रहे हैं, ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया पर निर्भर रहना पसंद कर रहे हैं।
  • स्वार्थ, अकेलापन और अधिक निर्भरता बढ़ाता है।
  • लोगों के बीच व्यक्तिगत बातचीत का अभाव, भावना, प्रेम और स्नेह में कमी, समाज की दूरियों का कारण बनता है।
  •  सामाजिक और पारिवारिक संबंधों में अधिक तनाव पैदा करना।

समाजों के विभिन्न आयुपर प्रभाव

A.बाल आयु –

हाल के समय में बच्चों की उम्र पर्यावरण वातावरण में खेलना भूलते जा रहे है, उनमें स्वाभाविक ही नैसर्गिकता की कमी देखी जा रही है। बच्चे हाल में केवल मीडिया पर चैट करना और मोबाइल गेम खेलना पसंद करते हैं। वे अपना अधिकांश समय इसमे व्यतीत करते हैं और अधिक आक्रमक होते जा रहे हैं, हमेशा अपने स्थायी स्वभाव को खोकर झगड़ालू हो रहे हैं।

बी युवा आयु –

  युवा पीढ़ी सोशल मीडिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने वाली आयु है। हाल ही में, सामाजिक मुद्दे पैदा हो रहे हैं जैसे प्रेम संबंध, गपशप आदि. कुछ इस प्रकार के मुद्दे उपस्थित होते जा रहे है। अपने परिवार और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भूलकर दीवानगी बढ़ रही है। इससे युवा पीढ़ी अधिक बेपरवाह और सोशल मीडिया पर एडिक्ट हो जाती है, और हमेशा तनाव में दिखती है।

C.पारिवारिक आयु-

सोशल मीडिया का प्रवेश सभी परिवारों पर प्रभाव डालता है। गृहिणियां भी अपनी जिम्मेदारियों को भूल रही हैं- हमारी परंपरा, संस्कृति आदि. जिससे परिवार के बड़े सदस्यों के बीच अधिक दूरी पैदा कर रही है और परिवार में तनाव पैदा कर रही है। यहां तक ​​कि जिम्मेदार पुरुष भी हमेशा सोशल मीडिया से जुड़े रहते हैं, अगर कोई उन्हें टोकता है तो उनका स्वभाव बिगड़ जाता है।

 कैसे संभलना है?

 आने वाले वर्ष में हमे इन सभी परेशानियों से संभलना पड़ेगा। सोशल मीडिया मानव जीवन की क्रांति है। यह जान लें कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मानव जीवन को और अधिक आसान बनाने के लिए है। याद रखें, सोशल मीडिया वेब इंसानों के लिए डिज़ाइन और विकसित किए गए हैं, लेकिन हम सिर्फ इनके लिए कभी पैदा नहीं हुए हैं! हर शौक, आदत जस की तस बनी रहनी चाहिए, अगर इसकी लत लग गई तो जीवन और कठिन हो जाएगा। इसे अब पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर प्रबंधित करना होगा, अपने परिवार और समाज के प्रति समझदारी और जिम्मेदारी रखते हुए। तभी हम इस नए साल में स्वस्थ परिवार और सदृढ़ समाज की उम्मीद रख सकते है।

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 A.पारिवारिक जिम्मेदारी-

  परिवार के व्यवस्थापक बनें, परिवार के सभी सदस्यों से बात करें; चर्चा करें कि हमारे परिवार के लिए क्या अच्छा है या क्या बुरा। प्रशासन का पालन करने के लिए समय और कार्यक्रम बनाएं। फॉलोअप लें और नियमित रूप से समीक्षा करें, अगर परिवार के सदस्य सिर्फ मनोरंजन के लिए या सिर्फ समय बिताने के लिए मीडिया का उपयोग कर रहे हैं, तो इंटरनेट का उपयोग करके अन्य तरीकों और विचारों को खोजें। आपको जीवन जीने का एक और तरीका निश्चित रूप से मिलेगा।

 B.सामाजिक उत्तरदायित्व-

   अपने समाज के प्रति जिम्मेदार रहें, बिना इसकी पुष्टि के किसी भी प्रकार के डेटा, समाचार, वीडियो आदि का प्रचार या प्रसार न करें, जो समाज के हित को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे डेटा, वीडियो को साझा न करें जो समाजीकरण और धर्मों की एकता के लिए अधिक खतरनाक हो सकता है। केवल प्रचार स्टंट के लिए एप्लिकेशन का उपयोग न करें। कृपया अपने व्यक्तिगत और किसी के गुप्त डेटा और फ़ोटोज को सोशल मीडिया के माध्यम से अपलोड या साझा न करें; ध्यान रखें कि आप भी समाज का हिस्सा हैं। सामाजिक संबंधों और दोस्ती में बने रहने और एक-दूसरे के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए आप भी अधिक जिम्मेदार बनें।

   अंत में, यह बेहतर जानलें कि हर समाचार, गपशप के अच्छे या बुरे विचार होते हैं और हर तकनीक, क्रांति के समाज में सकारात्मक या नकारात्मक विचार और प्रभाव होते हैं, सोशल मीडिया भी उनमें से एक है। जैसा कि पहले कहा गया है कि, यह मीडिया  तंत्रज्ञान हमारे लिए बनाए है, हम केवल मीडिया के लिए पैदा नहीं हुए हैं। सोशल मीडिया बातचीत का एक साधन है। इसे एक शौक, स्रोत आदि के रूप में रहना चाहिए। इसके आदी न हों, जो अपने दैनिक जीवन को कठिनाई में डाल दें। यह आपका कुछ समय और पैसे को खर्च करने तक हि सीमित होना चाहिए, लेकिन सोशल मीडिया पर अपने मूल्यवान जीवन का भुगतान कभी न करें। आपका यह नववर्ष मीडिया तकनीकी से भलेही भरा हुआ हो, लेकिन अपने आप को संभलते हुए, अपने परिवार का स्वास्थ्य और सामाजिक संबधो को अधिक दृढ़ करते हुए।

सभी को नूतन वर्ष की बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं!

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