शक्ती से श्रेष्ठ युक्ति -ख़रगोश की चाल

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शक्ती से श्रेष्ठ युक्ति -ख़रगोश की चाल

 एक जंगल में भारुवा नाम का एक शेर बहुत शक्तिशाली होने के कारण गर्व से फूला हुआ था।  भारुवा प्रतिदिन जितने पशुओं को मारना चाहता था, मार डालता और खा जाता।  जंगल के सभी जानवरों को यह डर सताने लगा कि भारुवा के इस तरह के आकस्मिक कृत्य से जंगल में एक भी जानवर नहीं बचेगा।

 अत: जंगल के सभी जानवर भारुवा के पास चले गए।  सभी जानवरों ने भारुवा से अनुरोध किया, “हे स्वामी, आप हर दिन हम गरीब जानवरों की जान क्यों लेते हैं, जबकि केवल एक जानवर की ज़रूरत है?  आज से तुम यहीं बैठो।  हम भोजन के लिए जंगल में ऐसे जानवरों को पालते हैं जो हमारी भूख को भी संतुष्ट करेगा और अनावश्यक हत्या को रोकेगा।”

 भारुवा सिंह जानवरों की बोली समझ गए।  लेकिन साथ ही उसने सभी जानवरों को चेतावनी दी कि, “अगर मुझे एक जगह बैठकर एक भी जानवर खाने को मिले, तो मुझे कुछ नहीं चाहिए, लेकिन याद रखना, अगर इस एक दिन में भी ब्रेक होता है, तो मैं सभी को मार डालूंगा”। सभी जानवरों ने भारुवा की चेतावनी को याद किया और एक-एक जानवर को भारुवा के पास भेजने लगे।  पहले तो बूढ़े, थके, दयनीय जानवरों को भेजा गया, लेकिन बाद में सुगठित जानवर शिकार के रूप में जाने लगे।  फिर जंगल के जानवरों के सोचने की बारी आई।

 वहीं, एक खरगोश को वक्त आ गया।  जैसे ही खरगोश भारुवा के पास पहुंचा, उसने सोचा, “अगर हम में से एक मारा जाता है तो शेर भी मारा जा सकता है… लेकिन यह कैसे संभव है?”  तभी वह उसे सड़क के एक कुएं में आसानी से झुकता हुआ देखता है।  तब कुएं में उसका प्रतिबिम्ब दिखाई देता है।  उसे देखकर उसके मन में एक विचार आता है कि वह इस तरकीब का इस्तेमाल शेर को मारने के लिए करेगा।  देर शाम तक समय लेते हुए खरगोश शेर के पास गया।

 जैसे-जैसे दैनिक भूख का समय बीतता गया, शेर को बहुत भूख लगी।  खरगोश को देखते ही भारुवा सिंह को गुस्सा आ गया, “अरे ससुर जी… कहाँ थे आप?, तुमसे तो मेरा सिर्फ नाष्टा ही हो पाएगा, तुम इसमें भी देर कर रहे हो … रुको, पहले मैं तुम्हें खाऊंगा, फिर मैं जंगल के सभी जानवरों को खाऊंगा।

 अब खरगोश डरता है,लेकिन बहादुरी से कहता है, “महाराज, केवल मैं ही नहीं, बल्कि जंगल के अन्य जानवर भी मेरे देरी के लिए जिम्मेदार हैं।” इसलिए देर हो गयी है? “महाराज, मैं योजना के अनुसार आ रहा था।  लेकिन रास्ते में एक गुफा से एक शेर मेरे सामने आ गया।  उसने मुझे धमकाते हुए पूछा, “तुम कहाँ जा रहे थे?”  तब मैंने कहा कि हमारे भारुवा सिंह महाराजा के पास जा रहे हैं!”  फिर उसने मुझसे कहा, “कोन कुतला भारुवा, महाराज।”  नंबर एक चोर, उसे बुलाओ नहीं तो मैं जंगल के सारे जानवरों को मार दूंगा।  आखिर मैं इस जंगल का राजा हूँ!”  खरगोश की बोली सुनकर भारुवा ने कहा, “मुझे दिखाओ कि वह डाकू शेर कहाँ रहता है … मैं आज उसे मार डालूँगा।”

Lion Photo by Frans van Heerden from Pexels: https://www.pexels.com/photo/lion-lying-on-grass-field-3651335/

 खरगोश जवाब देता है, “लेकिन मेरे स्वामी, उनकी गुफा बहुत कठिन जगह पर है और आप मुश्किल में पड़ जाएंगे।”  शेर गुस्से से चिल्लाता है, “तुम क्या कहना चाहते हो … उसे अभी मेरे पैरों के नीचे गिरा हुआ देखोगे।”  शेर के साथ खरगोश कुएँ पर गया।  अंदर झुककर वह शेर से कहता है, “वह यही होगा, आप अंदर देखो, मैं तुम्हें छिपा हुआ देखता हूँ।” तब भारुवा सिंह स्वयं झुककर कुएँ के मुहाने से देखते हैं।  तब शेर का प्रतिबिम्ब देखकर भारुवा ने जोर से गर्जना की।  जैसे ही उस गर्जना की प्रतिध्वनि कुएँ से आती है, भारुवा क्रोध में कुएँ में कूद जाता है और डूबकर मर जाता है।  तुरंत ही खरगोश ने अपने सभी पशु मित्रों को इस बारे में बताया और सभी जानवर खुश हो गए।

 कहानी से सीख :

 शक्ति से बेहतर युक्ति होती है! कोई भी मुश्किलें या कठिन कार्य युक्तिपूर्वक योजना बनाने से हल हो जाएंगे और आसान हो सकते है। इसीलिए तो कहते है, ताकद से बेहतर अक्ल!

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