गाँव वालों की समझदारी

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गाँव वालों की समझदारी

रायपुर नाम का एक गाँव था| उस गाँव मे बहुत सारे पालतू जानवर भी रहते थें| वहाँ के लोग उन जानवरो से बहुत प्यार करते थें | बच्चे – बूढ़े लोगों का उन पालतू जानवरों से मन लगा रहता था|

सभी काफी खुश रहते थें| एक दिन उन जानवरों को घूमने का मन किया और वो नदी के किनारे निकल गए| वहाँ पहले से ही कुछ जानवर मौजूद थे| उन जानवरों मे एक शेर भी था, उससे उन पालतू जानवरों की दोस्ती हो गयी| बातों बातों मे दोस्ती बढ़ गयी और वो उन्हे अपने साथ अपने गाँव लेकर चले आए|

गाँव वाले ने शेर को देखकर डर गए लेकिन फिर उन पालतू जानवरों की बातें सुनकर वो उन्हे अपने साथ रखने को तैयार हो गए और सभी साथ रहने लगें| कुछ समय तक सब कुछ अच्छा चलते रहा लेकिन अचानक उस शेर की नियत खराब हो गयी और उसके मन मे लालच आ गया|

और वो उस गाँव के छोटे- छोटे बच्चों को मार कर खाना शुरू कर दिया |यही सिलसिला चलते रहा और मना करने पर वो उन पालतू जानवरों को भी खा जाने की धमकी दी| जिससे लोगों और उन पालतू जानवरों के मन मे और डर बन गया| उन सब ने सोचा की अब हमे इसे भगाने के लिए कुछ सोचना होगा वरना ये एक – एक करके हम सबको खा जाएगा|

एक दिन सभी मे पूरे गाँव मे काटे और जाल लगा दिये ताकि जब शेर आए तो इसमे फस जाए फिर हम सब मिलकर उसे मार देंगे| उस रात शेर जब अपने खाने की तलाश मे निकला तो उसी जाल मे फस गया और लाख कोशिश के बावजूद भी नही निकल पा रहा था|

फिर हार मान कर शेर वही बैठ गया| अगले दिन जब गाँव वाले और  पालतू जानवरों ने उस शेर को फसा देखा तो काफी खुश हुए| फिर सभी मिलकर उस शेर को मार दिये| और वहाँ सब खुशी- खुशी रहने लगे|

हमें किसी भी काम को काफी होशियारी से करनी चाहिए| और यदि हम किसी भी मुसीबत का सामना बिना घबराये मिलकर करते है तो उससे छुटकारा पा सकते हैं।

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