![Lord Ganesha Photo by Sonika Agarwal from Pexels: https://www.pexels.com/photo/close-up-shot-of-a-hindu-deity-statue-8669378/ Lord Ganesha Photo by Sonika Agarwal from Pexels: https://www.pexels.com/photo/close-up-shot-of-a-hindu-deity-statue-8669378/](https://images.pexels.com/photos/8669378/pexels-photo-8669378.jpeg?auto=compress&cs=tinysrgb&w=1260&h=750&dpr=2)
![Lord Ganesha Photo by Sonika Agarwal from Pexels: https://www.pexels.com/photo/close-up-shot-of-a-hindu-deity-statue-8669378/ Lord Ganesha Photo by Sonika Agarwal from Pexels: https://www.pexels.com/photo/close-up-shot-of-a-hindu-deity-statue-8669378/](https://images.pexels.com/photos/8669378/pexels-photo-8669378.jpeg?auto=compress&cs=tinysrgb&w=1260&h=750&dpr=2)
गणेशोत्सव- धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक
हम एक ऐसे देश में रहते हैं जहां कई त्योहार हमारे साथ श्रद्धा और भावनाओं के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं। यहां हर दिन कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है, चाहे वह हिन्दूओ का हो या मुसलमानों का। पहली बात तो यह है कि, यहां आपको अलग-अलग संस्कृतियों का संगम देखने को मिलेगा, जिसके चलते यहां हर दिन कुछ न कुछ त्योहार होते रहते हैं। लेकिन इनमें से हमारे कुछ त्योहार जैसे होली, रक्षाबंधन, दिवाली, ईद, क्रिसमस आदि हैं, जिन्हें हम सब मिलकर देशवासियों के रूप में मनाते हैं, जिन्हें राष्ट्रीय त्योहार कहा जाता है, ऐसा ही एक त्योहार है गणेश चतुर्थी जिसे हम बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाते हैं।
गणेश स्थापना और पूजन
गणेश चतुर्थी को भगवान श्री.गणेश की जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व करीब 10 दिनों तक चलता है। हालांकि गणेश चतुर्थी पूरे देश में मनाई जाती है, लेकिन इसे पश्चिमी भारत में अधिक सार्वजनिक रूप से अवश्य देखने को मिलता है। इनमें खासतौर पर मुंबई में जहां देश भर से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग इस उत्सव के दौरान आते हैं।
इस वर्ष गणेश चतुर्थी का आयोजन 31 अगस्त 2022 बुधवार को किया जाना है। इस दौरान गणेशउत्सव में लोग एकदूसरे से स्नेह से मिलते है और गणेश चतुर्थी समारोह के बारे में चर्चा करते हैं।
लोकमान्य टिलक ने सार्वजनिक गणेशोत्सव उत्सव की शुरुआत की थी। यह पर्व दस दिनों तक चलता है। उत्सव की सदस्यता लेने के लिए मंडल सदस्य घर-घर जाते हैं। गणेशोत्सव भाद्रपद माह की शुक्ल चतुर्थी से शुरू होता है। भगवान गणेश की मूर्ति को सार्वजनिक स्थान पर लाकर स्थापित किया जाता है। विभिन्न अरास मूर्ति को घेर लेते हैं। उत्सव के दौरान सुबह-शाम गणपति की पूजा की जाती है। भगवान गणेशजी को मोदक बहुत प्रिय है। इसलिए वे उसे मोदक की भेंट/प्रसाद दिखाते हैं। इन दिनों सब घर में माहौल खुशनुमा रहता है, उत्साहित होता है। उत्सव में विभिन्न मनोरंजन कार्यक्रम, दिखावे को आयोजित किए जाता हैं। आखिर में अनंत चतुर्दशी के दिन जुलूस निकालते हैं और गणेश मूर्ति को नदी, कुएं या समुद्र में विसर्जित करते हैं। यह महाराष्ट्र में सभी समाजों का पसंदीदा त्योहार है।
![](https://images.pexels.com/photos/10702911/pexels-photo-10702911.jpeg?auto=compress&cs=tinysrgb&w=1260&h=750&dpr=2)
सार्वजनिक गणेशउत्सव धार्मिक एकता का प्रतीक और वर्षों की परंपरा
चूंकि महाराष्ट्र में लाखों लोग गणेश चतुर्थी का सबसे बड़ा त्योहार मनाते हैं, इसलिए यह विश्वास करना मुश्किल है कि उत्सव, कम से कम अपने वर्तमान स्वरूप में, एक सदी से भी अधिक पुराना है। हाथी के सिर वाले भगवान के सम्मान में हिंदू त्योहार मुख्य रूप से घरों और सार्वजनिक रूप से स्थानीय समुदाय समूहों या मंडलों द्वारा मनाया जाता है, जो अपने घरों और पंडालों में श्री.गणेश की मूर्तियों को स्थापित करते हैं।
16 वीं शताब्दी में छत्रपति शिवाजी द्वारा मराठा साम्राज्य की स्थापना के बाद गणेश चतुर्थी मनाई गई थी और यह मराठा शासकों के प्रधानमंत्रियों, पेशवाओं के त्योहार कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण दिन था, लेकिन तब यह काफी हद तक व्यक्तिगत घरों तक ही सीमित था।
घर के गणपति को पुणे की सड़कों पर सार्वजनिक रूप में लाकर लो.टिलक ने देशभक्ति की भावना को हवा दी। सार्वजनिक गणेशोत्सव के उत्साह के माध्यम से जनता के बीच एकता की भावना लाने मे सफल रहा, जिसे ब्रिटिश शासन ने अनुमति नहीं दी थी। एक साल बाद टिलक ने कई स्वतंत्रता सेनानियों और प्रगतिशील विचारकों से मुलाकात की, और पहला और सबसे पुराना गणेश मंडल गिरगांव में अस्तित्व में आया, सन 1893 में।
एक दशक के भीतर ही, त्योहार की भावना जंगल की आग की तरह फैल गई और दादर, परेल और गिरगांव में छोटे-छोटे क्षेत्रों में मंडल आ गए। विभिन्न धर्मों के लोगों का मिलाफ़ इस दौरान होता रहा। आपस में सामाजिक एकता का वातावरण बनाने लगा। लोगों में स्वतंत्रता और राष्ट्रवाद का ज्वर फैलने लगा।
तबसे लेकर आजतक गणेशउत्सव में अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक परिवर्तन दिखाई दिए। यह एक राष्ट्रीय उत्सव के रूप में भी मनाया जाने लगा है।