चंदामामा हिंदी ग़ज़ल

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चंदामामा हिंदी ग़ज़ल

आज फिर तुम से इक गुज़ारिश है,

 उन वफ़ाओं की फिर से बात करो,

रात यूं ही नहीं गुजरती है,

 आज फिर कोई दिल की बात करो।

छेड़ दो साज हैं सोये-सोये,

और अल्फाज़ हैं खोये-खोये,

जहां ढल जाये इक तरन्नुम में,

हसीन सी कोई शुरुआत करो।

बहकी-बहकी सी फिजा सारी है,

 रात है, इश्क की खुमारी है, 

बात अब तक कभी जो हो न सकी,

आज कुछ भी हो वही बात करो। 

जमाना कब तलक सतायेगा,

 जख्मेदिल रोज बढ़ता जायेगा,

तोड़कर बंदिशें जमाने की,

 दिल जो कहता है वही बात करो।

रात यूं ही नहीं गुजरती है,

आज फिर कोई दिल की बात करो…🌹

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