पाणी की कमी ! पृथ्वी ग्रह के लिए एक गंभीर मुद्दा

Planet Earth Photo by Cup of  Couple from Pexels: https://www.pexels.com/photo/a-man-and-a-woman-holding-a-globe-6963623/
Reading Time: 5 minutes

पाणी की कमी ! पृथ्वी ग्रह के लिए एक गंभीर मुद्दा

   मनुष्य की सोच इतनी ऊंची हो गई है कि, वह चंद्रमा और मंगल पर पानी की खोज के लिए उन्नत देश की दौड़ में करोड़ों-अरबों रुपये खर्च करना चाहता है। हर व्यक्ति (मनुष्य) के दिल में महत्वाकांक्षा होना अच्छी बात है। विपरीत स्थिति में महत्वाकांक्षा इतनी अधिक न हो कि उसकी दशा ऐसी हो कि उसे न मंगल पर जल मिले और न चंद्रमा पर और तब तक जल के महत्व को समझते हुए वह अपने ग्रह (पृथ्वी) के जल को समझ सके। यह आनेवाली आपदा से हमे भी नहीं बचा सके। मनुष्य हमेशा भविष्य में ऐसे कारनामे करना चाहता है कि, भलेही वह अपनी महत्वाकांक्षाओं से आगे निकल जाए। लेकिन, प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करने, उनका सदुपयोग करने और उन्हें बढ़ावा देने के काम में उनकी बुद्धि तुरंत काम नहीं करती है। यदि किसी कारणवश वह उक्त संसाधनों की रक्षा करने का प्रयास करता है तो भी वह किसी भी कारण से पूरी तरह विफल हो सकता है। ‘पृथ्वी दिवस’ के अवसर पर हमें ना सिर्फ इन बातोंपर गौर करना होगा, बल्की इसे अंमल में लाने के लिये कुछ प्रवंधन और संकल्पों का आयोजन करना होगा।

जानिए पृथ्वी क्या है?

  पृथ्वी सृष्टी का अमुल्य वरदान है, पृथ्वी मानवजाती और चराचर सृष्टि का पोषण करनेवाला ब्रम्हांड का एक महत्वपूर्ण ग्रह है। हम सभी पृथ्वीवासियों गर्व होना चाहिए कि, हम मानवजातीने इसकी कोख से जन्म लिया है, इस ग्रह पर हमारा पालन-पोषण हो रहा है। हमे इसने एक इंसान (मनुष्य) बनने का मौका दिया है। यह पृथ्वी निसर्गता से भरपुर है, जहा देखें तो हमे अधिकांश पाणी ही पाणी, उबड़-खाबड़ जमीनी सतेह और मिटटी से लदालद; निसर्ग का अमुल्य तोहफा यानी हरियाली से उमड़ती दरियाँ और पहाड़। यह सब हम पृथ्वी वासियों को वरदान है, यह सब घटक पृथ्वीपर जीवन विकसीत करते है, हमारा पोषण करते है। तो क्यों इस मानवजाती का भी इसके प्रति कोई फर्ज नही बनता? क्यों कोई कर्तव्य नही होगा?। बिल्कुल होना चाहिए, क्योंकि हम इसका ख्याल नही रखेंगे, जिम्मेदारी नही लेंगे तो इस पृथ्वी के साथ-साथ हमारे मानववंश का भी अंत निश्चित है। 

  मानवजीवन के लिये आवश्यक घटक, पाणी! पाणी है तो इस पृथ्वीपर ‘जीवन’ अस्तित्व में है, जो एक अहम घटक है। मिटटी  (कृषि) जो अनाज उगानेवाला अमुल्य घटक है, स्वस्थ मिट्टी मानवीय स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण घटक है, क्योंकि मिट्टी में जो कुछ पोषक तत्व होते है वह हमारे आहार स्वास्थ्य और क्षमता को प्रभावित करता है, तो इनकी स्थिति क्या है? और हम इसके बारे में क्या कर सकते है? यह जानिए।

Reusable Shopping and Grocery Carry bag from Chandamama for Rs 200 https://www.chandamama.com/index.php?route=product/product&product_id=42449

जल की उपस्थिति :-

  यह कुछ आंकडे आपको आश्चर्यचकित कर देंगे की, पृथ्वी पर जल की उपलब्धता तो 97.5 प्रतिशत है, लेकिन यह महासागरों में खारे जल के रूप में उपस्थित है, जो मानवजाती के लिये बेकार है। अन्य 2.5 प्रतिशत मीठा जल पृथ्वी पर उपलब्ध है। जिनमें से भी दो तिहाई पाणी हिमनदों और ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ की चादरों के रूप में जमा होता हैं। शेष जल पीणे योग्य जल के रूप में है, जिसका केवल एक छोटा सा भाग ही सतही जल के रूप में भूमि के ऊपर या वायु में वायुमण्डलीय जल के रूप में शामिल है। लेकिन, इसका 24 लाख कि.मी. हिस्सा 600 मीटर की गहराई तक भूजल के रूप में मौजूद है, और लगभग 5 लाख किलोमीटर पाणी गंदा और प्रदूषित होने के कगार पर पहुंच गया है। इस तरह पृथ्वी पर मौजूद कुल जल का केवल 1 प्रतिशत पाणी ही मानव उपयोग के लिए उपलब्ध है। जो हमारे लिए भविष्य के खतरे से खाली नही हो सकता है।

जल संकट की समस्या :-

  संयुक्त राष्ट्र ने इस विषय पर गंभीरता व्यक्त करते हुए यह भी अनुमान लगाया है कि, 2030 तक 70 मिलियन लोगों को पानी की कमी के कारण अपने स्थानीय क्षेत्रों से विस्थापित होना पड़ सकता है। बड़ा सवाल यह है कि क्या ऐसी स्थिति में दो वक्त की रोटी कमाने वाला जिंदा बचेगा? क्या कोई अमीर व्यक्ति किसी गरीब व्यक्ति के लिए जल-उत्पादक संसाधनों के अपने स्वामित्व को मुक्त करेगा? क्या ऐसी स्थिति में मानवता जीवित रहेगी? क्या ऐसी स्थिति में स्थानीय सरकार पूरी तरह से वंचित लोगों की प्यास बुझा पाएगी। हुश! इन समस्याओं से कोई नहीं बचेगा, इस अबतक की सबसे खराब स्थिति से सभी पीड़ित होंगे।

  हम हर साल 22 अप्रैल के दिन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस मनाते है। दिनभर परिसंवाद और शुभेच्छाओं के अलावा कुछ नही करते। इसे गंभीरता से क्यों नही लिया जाता?, क्यों नही इसके प्रबंधन के लिये संकल्प वर्ष मनाते?, इस बारे में क्यों सभी राष्ट्रों की सरकारें विफल होती जा रही है, यह सोचने की जरूरत है।

Photo by Wendy Wei from Pexels: https://www.pexels.com/photo/person-near-river-2994407/

कृषि जल प्रबंधन मुद्दा:-

  कृषि क्षेत्र, जिसे इस प्राकृतिक संसाधन का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता माना जाता है, लगभग 70% पानी का उपयोग करता है। इस पृथ्वी ग्रह पर उपलब्ध जल संसाधनों में से केवल तीन प्रतिशत (3)% ही मीठे पानी है। जल प्रबंधन के अभाव में कृषि उत्पादन में इसमें का 50 से 60 प्रतिशत से अधिक पानी बर्बाद हो जाता है। अधिकांश किसान फसल सिंचाई की पारंपरिक पद्धति का उपयोग कर रहे हैं, जिससे पानी का अत्यधिक उपयोग होता है, उन्हें जल प्रबंधन का उचित मार्गदर्शन नहीं मिलता है, इसलिए दुनिया अब भूजल की कमी से जूझ रही है।

Radium Sticker Wall Sticker https://www.chandamama.com/index.php?route=product/product&product_id=31524

  कृषि क्षेत्रों में पानी की कमी को अब कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने की आवश्यकता है। वर्तमान में कृषि के पास सिंचाई के लिए जलाशय, बांध, बोरवेल, तालाब और नदियाँ जैसे संसाधन उपलब्ध हैं। पानी के कुओं, नदी बांधों, झीलों के निर्माण से अब पानी को डायवर्ट या प्रबंधित किया जा रहा है। लेकिन नदियों और कुओं की पारंपरिक सिंचाई अब बोरवेल सिंचाई में बदल रही है। इस बीच, अधिक बोरवेल सिंचाई के कारण भूजल का अतिरिक्त उठाव इससे हर साल भूजल स्तर और पारंपरिक कुओं के जल स्तर को प्रभावित करता है। फसल उत्पादन के लिए पानी के अत्यधिक उपयोग ने हाल के वर्षों में भूजल की कमी को जन्म दिया है। इस कमी को दूर करने के लिए इसे एक सही और प्रभावी रणनीति द्वारा प्रबंधित किया जाना चाहिए, जैसे, जल बचाओ, जीवन बचाओ’

  अंत मे, मानव के स्वार्थ के कारण पृथ्वी पर जल संकट की विडम्बना दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। इसका मुख्य कारण जल का अनियंत्रित दोहन, जनसंख्या का विस्फोट और जल के प्रति असंवेदनशील दृष्टिकोण वाला आधुनिक औद्योगीकरण, पृथ्वी जल संरक्षण के लिए जल प्रबंधन की कमी या कहे कि कहीं हमारी लापरवाही है। इसलिए, सृष्टि से रचित इन अमुल्य घटकों पाणी, कृषि-मिट्टी और वनों का सदुपयोग और संरक्षण का हम मानवजाती का परम कर्तव्य क्यों न हो?

  ऐसे कई सवालों के समाधान के लिए, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय नागरिकों को संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों में से एक के रूप में, ‘पीने का पाणी प्राप्त करने’ का अधिकार दिया है। साथ ही साथ केंद्र सरकार को निर्देश जारी किया कि देश के सभी नागरिकों को भी इस अधिकार की रक्षा करना उनका परम कर्तव्य है, ऐसा निर्देश है।

  इस साल के ‘पृथ्वी दिवस’ की सभी ज़िमेदार नागरिकों को बहुत-बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं! याद रहे यह पृथ्वी है तो हम है!, इस संकल्प के साथ अपनी प्रबंधित दिनचर्या में इसे भी शामिल करें और अपनी जिम्मेदारी निभाए।

Shop Chandamama on earth day

Leave a Reply