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आझादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर अभियान
हर-घर तिरंगा
चाहे वो हो कश्मीर,
या हो हिमालय की वादी।
चाहे वो हो कन्याकुमारी!
या हो गोमंतक का समंदर।
चाहे वो हो भुज का रेगिस्तान,
या हो द्वारकाधीश की द्वारका।
चाहे वो हो ब्रम्हपुत्र का किनारा!
या हो पूरब की अरुणोदय घाटी।
हर जगह फहराएगा, शान से तिरंगा।
हर दिल मे लहराएगा, क्रांति का तिरंगा।
हर -घर लहराएगा, शांति का तिरंगा।
जगह -जगह लहराएगा, शान से तिरंगा।
अपने दिल मे राष्ट्र-चेतना जगाए।
हर राष्ट्र निर्माण में अपना सह्योग दे।
सब मिलके ‘बलशाली भारत’ का निर्माण करें।