मुर्गियों के हैचने से पहले अंडे गिनें नहीं!

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मुर्गियों के हैचने से पहले अंडे गिनें नहीं!

एक गाँव में गंगा नाम की एक दूधवाली रहती थी। उसने अपनी गाय से दूध निकाला और एक छड़ी पर लादे हुए दूध की दो बाल्टी लेकर बाजार में दूध बेचने निकल पड़ी। जब वह बाजार की ओर जा रही थी, तो उसने सपने देखना शुरू कर दिये कि , उस दूध के पैसे मिलेंगे, तो वह उसमें से वह क्या करेगी। उसने उस पैसे से मुर्गी खरीदने और बाद में उसके अंडे बेचने की सोची। उसने मन में अमीर बनने की योजना बनाई। वह एक केक, स्ट्रॉबेरी की एक टोकरी, एक फैंसी ड्रेस और यहां तक ​​कि एक नया घर खरीदने का भी सपना देख रही थी, वही पैसे जो वह अंडे और दूध बेचती थी!

    अपने उत्साह में, वह अपने साथ ले जा रही बाल्टी के बारे में भूल गई, बाल्टियो के पलटने से उससे दूध का छोड़ना शुरू  कर दिया था। अचानक, उसने महसूस किया कि दूध नीचे गिर रहा है और जब उसने अपनी बाल्टी की जाँच की, तो वे खाली हुए थे।

क्या कहती है यह कहानी !

-अर्थ और बोध

कहानी एक दूधवाली की है, नाम है गंगा। हररोज वह अपने गाय का दूध बेचने बाजार जाती थी। एक दिन जब वह दूध बेचने बाजार जाने लगी तो वह आमिर बनने के सपने संजोने लगी। उसने सोचा की वह दूध बेचते-बेचते कुछ मुर्गिया खरीदेगी, बाद में उसके अंडे बेचकर वह खाने की चीजे, कुछ किमती कपडे और यहाँतक की एक घर भी खरीदेगी।

    उसी सपने में और उत्साह में वह भूल गयी की उसके पास दूध से भरी बोटल थी। उससे सारा दूध रिस गया और बोटल खाली हो गयी।

कहानी से सिख

    इस कहानी से यह सिख है की, सपने देखने में बुराई नहीं। लेकिन अपने मुर्गियों को हैचने (पक्वता) से पहले गिनें नहीं! केवल सफलता के सपने नहीं, सफलता प्राप्त करने की प्रक्रिया, योजना और मेहनत पर भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है।

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