भोले प्रशन

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भोले प्रशन

पापा ये कोरोना वायरस  कब खत्म होगा ? नहाने के बाद , कपडे पहनते वक्त ईशू  ने पापा से पूछा ǀ

पापा – होगा बेटा , खत्म होगा ǀ अच्छा आप भगवान जी को हाथ जोडते वक्त उनको प्रार्थना करना कि भगवान जी सभी का ध्यान रखना और जल्दी से इस कोरोना वायरस  को खत्म कर दो ǀ

ईशू भागकर गया और आंखे बंद कर भगवान जी को प्रार्थना करने लगा ǀ

ईशू – पापा , मुझे लगता है कि ये लेने वाले भगवान जी है ,देने वाले नहीं है ǀ अपने स्कूल की आन लाइन क्लास के लिये लैपटाप के सामने बैठते  हुए ईशू ने पापा से कहा ǀ

पापा ने कुछ सोचते हुए पूछा – तुम क्या कहना चाहते हो ? ईशू बोला कि मैं बहुत दिनों से भगवान जी को प्रार्थना कर रहा हूँ पर कोरोना वायरस  जल्दी से खत्म नहीं हो रहा ǀ और फिर ईशू अपनी क्लास में शुरु हो गया ǀ

पापा – करेंगे बेटा , भगवान जी बच्चों की प्रार्थना जल्दी सुनते है ǀ

पापा सोचने लगे कि अब कुछ दिनों से उनका पांच साल का ईशू सरल व भोले पर असरदार प्रशन पूछ्ने लगा है ǀ बातों ही बातों में वह मज़ेदार लेकिन अहम चुटकियां ले लेता है ǀ

सच ही है कि बच्चों का मन निश्चल होता है और बडी से बडी बात को वे सरलता से कह देते है ǀ वे हम बडों के जैसे नहीं होते जो अधिकतर बातों को घुमा- घुमाकर मुश्किल बना देते है ǀ या यूं कहे कि बडे शायद सोचते कुछ है , महसूस कुछ करते है, बोलते कुछ है और चाहते कुछ और ही है ǀ

अभी कल ही की बात है ǀ कल ईशू एक कार्टून प्रोग्राम देखने के बाद बोला , पापा – आपको पता है की पानी बहुत ज़रूरी चीज़ होती है ? पटाखे जलाने के लिये भी पानी की ज़रूरत होती है ǀ कहीं पर आग लग जाये या किसी को चोट लग जाये तो….

पापा –उसकी मीठी बातों को सुनते हुए , हां बेटा ǀ

ईशू – अच्छा पापा , ये पानी किन चीज़ों से बनता है ?

पापा – कुछ सोचते हुए , देखो बेटा – कुछ प्रशनों के दो तरह के जवाब होते है ǀ एक स्कूल वाला जवाब और दूसरा कहानी वाला जवाब ǀ स्कूल वाले जवाब के लिये आपको अभी बडा होना है , पर हां हम कहानी वाले जवाब के बारे में बात कर सकते है ǀ लेकिन आप भी सोचो कि पानी कैसे बनता होगा ǀ

पापा सोचने लगे कि बच्चों के साथ हम बडे कितनी बातें सीखते है ǀ जीवन की कई गहरी बातों को बच्चें अपनी मधुर आवाज़ में सरलता से कह जाते है और अपने मन की परेशानियों को भी बिना किसी लाग-लपट के झट से पूछं लेते है ǀ हम बडे अपनी दुविधाओं में ऐसे फंस जाते है कि अपने आस पास गोल गोल चक्कर बना लेते है ǀ और दुनिया के डर से अपने मन के अंदर चल रहे प्रशनों को बाहर ही नहीं ला पाते ǀ

पिछले कुछ महीनों से लाक डाउन में टी वी पर पुराने धारावाहिक दोबारा आ रहे थे ǀ ईशू भी घर वालों के साथ उन पुराने धारावाहिक को देखने लगा और उसे वे अच्छे भी लगने लगे ǀ इसके साथ ही शुरु हो गए उसके मज़ेदार सवाल ǀ

एक दिन ईशु बोला – पापा , ये भगवान और राक्षस  आपस  में लडते ही क्यों हैं ?

भगवान ने ये राक्षस बनाये ही क्यों ? भगवान अगर सबसे बडे और ताकतवर है तो उन्होनें राक्षसों को बचपन में पढाया क्यों नहीं कि लडाई करना अच्छा नहीं होता ? और भी ऐसे कई सवाल वह करता , जो  बाल- मन की सुलभता को दर्शाते है ǀ बच्चों का मन तो यहीं चाहता है कि कुछ भी बुरा न हो , सब अच्छे से रहे व इस दुनिया में लडाई हो ही न ǀ पापा भी कहानी व बात चीत के तरीकें से उसकी उम्र अनुसार बातों का जवाब देते ǀ

दोपहर को क्लास खत्म होने के बाद , मम्मी ने ईशू के लिये मैगी बनाई ǀ पापा – मम्मी और ईशू सब मिलकर साथ में खाने लगे ǀ इतने में ईशू बोला – क्या मैगी में इतनी सारी सब्ज़ी डालना ज़रूरी हैं ?

पापा – ह्म्म , पता नहीं पर शायद हमारे पेट को ये सब्ज़ियां अच्छी लगे ǀ और फिर सब मिलकर मैगी खाते रहे

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