कोरोना के प्रति लापरवाह होते हम

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कोरोना के प्रति लापरवाह होते हम

 देश में कोरोना के घटते मामलों के बीच यह त्यौहारों का सीजन खासा संवेदनशील है। पिछले दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी इस दौरान लोगों से विशेष सतर्कता बरतने की अपील की, जिसे गंभीरता से लेने की ज़ुरूरत है। क्योंकि यही वह नाज़ुक समय है जब लोगबाग कोरोना को लेकर काफीकुछ बेफ़िक्र हो चले हैं, और ऐसे में की गई छोटी सी भी लापरवाही से सुधर रही स्थिति फिर से बिगड़ सकती है। जो और भी चुनौतीपूर्ण साबित होगी। 

 भारत में कोरोना से ठीक होने वालों की दर भले ही ज्यादा हो, हमें यह तथ्य भुलाना न चाहिये कि अब तक न तो इसका टीका खोजा जा सका है और न ही कोई सटीक इलाज। वहीं, जो भी है, कोरोना के इलाज़ में आने वाला ख़र्च भी इतना ज्यादा है कि देश की अधिकांश जनता उसे वहन नहीं कर सकती। ऐसे में कोरोना से बचाव के उपायों की अनदेखी किसी के लिये भी आत्मघाती सिद्ध हो सकती है।

हालांकि इससे बचने के उपायों में प्रमुखतः साफ-सफाई, सामाजिक दूरी बनाकर रखने और मास्क का इस्तेमाल करने जैसी सहज-सुगम बातें ही हैं। पर जैसा कि साफ़ नज़र आता है, समय के साथ ही कोरोना संबंधी एहतियातों के प्रति हमारी संवेदनशीलता में उल्लेखनीय कमी आती गई है। शुरू-शुरू में जहां सड़कों पर एक स्वैच्छिक सन्नाटा सा पसरा रहता था, करीब सभी चेहरे पर मास्क होता था।

यही नहीं, लोग अन्यों को भी इन सबके लिये सचेत करते दिखते थे। पर जहां अब मास्क लगाने वालों की संख्या में कमी साफ़ दृष्टिगोचर होती है, वहीं आमतौर पर लोगों ने सामाजिक-दूरी की अनदेखी भी शुरू कर दी है। जबकि आज भी देश में करीब पचास हजार कोरोनामामले प्रकाश में आ रहे हैं। भारत में इससे अब तक एक लाख से अधिक मौतें हो चुकी हैं। वहीं अर्थव्यवस्था की हालत दयनीय हो चुकी है। 

 यह सही है कि देश में कोरोनामामलों में उल्लेखनीय कमी आई है, काफी लोग इससे बाहर आये हैं, और हमारे डॉक्टरों/वैज्ञानिकों ने इसके इलाज व टीके की खोज की दिशा में अच्छी प्रगति कर चुके हैं। पर इसमें कोई शक नहीं कि इलाज आने तक बचाव ही एकमात्र उपाय है। तब तक कोई भी लापरवाही अक्षम्य ही कही जायेगी।

दुनिया के तमाम देशों और स्वयं देश के दक्षिणवर्ती राज्य केरल से मिले अनुभवों से सबक मिलता है कि स्थिति में कुछ सुधार होते ही हम आमतौर पर निश्चिंत से हो जाते हैं, और तब कोरोना आसान पलटवार कर सकता है, जो पहले से भी घातक सिद्ध होता है। अब तक कई विश्वस्तरीय मान्यता-प्राप्त शोधों में यह तथ्य सामने आया है, कि किसी व्यक्ति को दुबारा कोरोना-संक्रमण होना कहीं अधिक खतरनाक सिद्ध होता है।

 अब तक भारत में लगभग पिचहत्तर लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं, ज़ाहिर है इन्हें इस दौरान खासतौर पर सावधान रहना होगा। आज पश्चिम के कई देश जहां फिर से ‘लॉकडाउन’ के बारे में विचार कर रहे हैं, वहीं कोरोना से युद्ध में चैंपियन बनकर उभरे भारतीय राज्य केरल में दो माह पूर्व आये त्यौहार में ढिलाई से सब कियाधरा बिगड़कर रह गया।

  आजकल भी नवरात्रि, दशहरा, दीपावली जैसे देशव्यापी लोकप्रिय त्यौहारों का समय चल रहा है, जब उत्साहवश ऐसी लापरवाही सहज ही हो जाती हैं। इसीलिये इस वक्त सबको अपने स्तर पर कोरोना संबंधी सतर्कतायें बरतने की दरकार है। ताकि करोना से लड़ते हुये हमारे कदम डगमगाने न पायें। ज़ाहिर है कि इसमें हर व्यक्ति का योगदान समान रूप से महत्वपूर्ण है। इसलिये स्वास्थ्य मंत्री जी की अपील का मर्म समझा जा सकता है। हमें इस पर पूरी संजीदगी से अमल करना चाहिये।

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