क्रिप्टोकरेंसी और बिटक्वाइन

Cryptocurrency Photo by Alesia Kozik from Pexels
Reading Time: 5 minutes

क्रिप्टोकरेंसी और बिटक्वाइन

बिटक्वाइन एक आभासी यानी ‘वर्चुअल मुद्रा’ है। एक क्रिप्टोकरेंसी के तौर पर इसे सतोशी नाकामोटो द्वारा सन् 2009 में पेश किया गया। जिसका उद्देश्य था लोगों को ऐसी सहूलियत प्रदान करना, ताकि वे एकदूसरे से मुद्रा का लेन-देन बैंक या अन्य किसी बिचौलिये की मदद के बिना कर सकें।


वर्चुअल करेंसी का अर्थ है– कि दूसरी मुद्राओं या ‘करेंसीज़’ की तरह इसका कोई भौतिक स्वरूप नहीं है। यानी ऐसी मुद्रा जिसे आप न तो देख सकते हैं, और न छू सकते हैं। बिटक्वाइन एक ऐसी ही ‘डिजिटल करेंसी’ है। सो, यह केवल ‘इलेक्ट्रॉनिकली’ स्टोर होती है। हालांकि अगर आपके पास बिटक्वाइन है, तो आप किसी भी अन्य आम मुद्रा की तरह ही उससे कुछ खरीद सकते हैं। यह एक ‘क्रिप्टोकरेंसी’ है।


‘क्रिप्टोकरेंसी’ एक तरह की वर्चुअल करेंसी है, यानी कि इसका भौतिक अस्तित्व नहीं होता। किसी नोट या सिक्के की तरह इसे हाथ में नहीं ले सकते। वस्तुतः, अंग्रेजी शब्द ‘क्रिप्टो’ का अर्थ होता है–गुप्त। अर्थात् यह एक गुप्त-मुद्रा है। जिसका एक व्यक्ति के ई-वॉलेट से दूसरे व्यक्ति के ई-वॉलेट में ट्रांसफ़र हो सकता है। कह सकते हैं कि ये ‘डिजिटल संपत्ति’ है। बिटक्वाइन के अलावा डॉजक्वाइन, लाइटक्वाइन, पोलकाडॉट, चेनलिंक, मूनक्वाइन आदि कुछ खास नामों के अलावा ‘क्रिप्टोकरेंसीज़’ की संख्या हजारों में है। इनकी अलग-अलग कीमतें हैं, जो घटती-बढ़ती रहती हैं।


बिटक्वाइन या किसी भी ‘क्रिप्टोकरेंसी’ को क्रिप्टोग्राफी के ज़रिये सुरक्षित किया जाता है। हर एक क्रिप्टोकरेंसी का अपना ‘यूनिक प्रोग्राम कोड’ होता है; जिससे इनकी कॉपी बना लेना, या अन्य किसी प्रकार की धोखाधड़ी तकरीबन नामुमकिन है। यही कारण है कि इसका चलन बढ़ता जा रहा है। जून, 2021 में अल-सल्वाडोर क्रिप्टोकरेंसी को वैधानिक मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश बना।


क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रित करने वाला कोई रिज़र्व बैंक या सरकार जैसी केंद्रीय नियामक संस्था नहीं है। यह एक पूरी तरह से विकेंद्रीकृत व्यवस्था है। इंटरनेट पर ही इनका निर्माण, निवेश और लेन-देन सबकुछ होता है। एक पूरा नेटवर्क है, जहां पर हर एक ‘ट्रांजैक्शन’ की जानकारी सुरक्षित रहती है। और इसे कोई एक व्यक्ति या एक संस्था ही नहीं देख रही होती, एक ही साथ इस पर कई जगह काम चलता रहता है।


बिटक्वाइन के उपयोग
जैसा कि हम जानते हैं, बिटक्वाइन को हम केवल ‘इलेक्ट्रॉनिकली’ ही स्टोर कर सकते हैं। सो, इसे रखने के लिये ‘बिटक्वाइन-वॉलेट’ की ज़ुरूरत होती है। जो कई तरह के मौज़ूद हैं। जैसे– डेस्कटॉप ई-वॉलेट, मोबाइल वॉलेट, ऑनलाइन वेब-बेस्ड वॉलेट, हार्डवेयर वॉलेट वगैरह। इनमें से किसी एक का इस्तेमाल हम इसमें खाता यानी एकाउण्ट बनाने में कर सकते हैं।


ये वॉलेट हमें ‘एड्रेस’ के रूप में ‘यूनिक आईडी’ प्रदान करते हैं। जब आप कहीं से बिटक्वाइन कमाते हैं तो उसे अपने इस खाते में रख सकते हैं। इसके अलावा जब आप बिटक्वाइन खरीदना या बेचना चाहते हैं तब भी इस वॉलेट की ज़ुरूरत पड़ती है। और इससे आपको जो भी पैसे मिलते हैं, उसे ‘ट्रांसफ़र बिटक्वाइन वॉलेट’ के ज़रिये अपने बैंक-अकाउंट में भेज सकते हैं।


देखें तो डेबिट या क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने पर उस रकम का कुछ फीसदी कर यानी टैक्स के रूप में अदा करना होता है। पर बिटक्वाइन के साथ ऐसा कुछ नहीं होता। यह भी इसकी बढ़ती लोकप्रियता की एक वज़ह है। इसके अलावा यह सुरक्षित भी है और तेज भी। खरीदार की पहचान का खुलासा किये बिना पूरे बिटक्वाइन नेटवर्क के हर लेन-देन की जानकारी ली जा सकती है। 


आज बिटक्वाइन को स्वीकार करने वाली सैकड़ों वेबसाइट कंपनियां हैं। प्लेन का टिकट हो कि होटल में रूम, या फिर कार, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि कुछ भी लेने में बिटक्वाइन के ज़रिये भुगतान करना संभव है। वैसे भी पैसों के लेन-देन में बैंक या किसी अन्य संस्था की मदद लेते हैं, जो इसके लिये हमसे शुल्क लेती हैं। हालांकि आज भी बहुत लोगों के पास बैंकिंग सुविधा नहीं है। पर ऐसे लोगों की संख्या कहीं अधिक है जिनके पास इंटरनेट के साथ स्मार्ट-फोन भी मौज़ूद है।

ये बिटक्वाइन के ज़रिये अब इंटरनेट से व्यापार करने में सक्षम हैं। क्योंकि बिटक्वाइन पर किसी व्यक्ति, कंपनी या सरकार का कोई विशेष स्वामित्व नहीं है। इसकी शक्ति के स्रोत वे हजारों लोग इसे हैं जिनके पास विशेष कंप्यूटर है, जो एक पारदर्शी नेटवर्किंग प्रणाली को मजबूत बनाते हैं, नेट पर विनिमय की जांच करते हैं, और उसे सुरक्षित बनाते हैं। इस प्रक्रिया को ‘माइनिंग’ कहा जाता है।


बिटक्वाइन माइनिंग
आम भाषा में माइनिंग का अर्थ है– खनन यानी कुछ खोदकर निकालना। जैसे सोना,तांबा,कोयला आदि खनिज तत्व खोदकर निकाले जाते हैं। पर चूंकि बिटक्वाइन का कोई पदार्थगत अर्थात् भौतिक स्वरूप नहीं है, इसलिये इसकी ‘माइनिंग’ परंपरागत तरीके से नहीं होती। यह एक प्रतीकात्मक शब्द है, जिसका मतलब है बिटक्वाइन का निर्माण करना, और जो कंप्यूटर और इंटरनेट के इस्तेमाल के साथ ही संभव है। कह सकते हैं कि नई बिटक्वाइन बनाने के तरीके को ही ‘बिटक्वाइन माइनिंग’ कहते हैं।


बिटक्वाइन ‘माइनिंग’ का अर्थ ऐसी प्रक्रिया से है, जिसके तहत कंप्यूटर द्वारा लेन-देन किया जाता है, नेटवर्क को सुरक्षित रखा जाता है साथ ही नेटवर्क को ‘सिंक्रोनाइज़’ भी किया जाता है। ये एक बिट कंप्यूटर सेंटर की तरह है, पर एक विकेंद्रीकृत व्यवस्था के अंतर्गत संचालित है। जिसे दुनिया भर में बैठे ‘माइनर्स’ नियंत्रित करते हैं। ‘माइनर्स’ यानी जो बिटक्वाइन माइनिंग या निर्माण करते हैं।


कोई एक व्यक्ति बिटक्वाइन माइनिंग को नियंत्रित नहीं कर सकता। बिटक्वाइन माइनिंग की सफलता की ‘ट्रांजैक्शन’ प्रक्रिया संपन्न करने पर जो पुरस्कार मिलता है, वह बिटक्वाइन के रूप में होता है। ‘माइनर्स’ को इसके लिये एक विशेष हार्डवेयर युक्त शक्तिशाली कंप्यूटर की आवश्यकता होती है, जिसकी ‘प्रॉसेसिंग’ तेज हो। इसके अलावा बिटक्वाइन माइनिंग सॉफ़्टवेयर भी ज़ुरूरी होता है। ताकि वे सफलतापूर्वक ‘ट्रांजैक्शन’ को संपन्न करके उसके शुल्क के रूप में नया बिटक्वाइन अर्जित कर सकें। किसी भी ऐसे नये ट्रांजैक्शन को ‘कन्फ़र्म’ होने के लिये उसे ब्लॉक में शामिल करना होता है।

उसके साथ एक गणितीय प्रणाली होती है, जिसे हल करना होता है। यह आसान नहीं होता। इसे ‘प्रूफ़’ करने के लिये लाखों गणनायें यानी ‘कैल्कुलेशन्स’ प्रति सेकेंड की दर से करनी पड़ती हैं। वहीं जैसे-जैसे दूसरे ‘माइनर्स’ हमारे इस नेटवर्क से जुड़ते जायेंगे, वैसे-वैसे उन्हें माइनिंग के लिये खाली ब्लॉक का खोजना और कठिन होता जायेगा। बिटक्वाइन माइनिंग का मुख्य उद्देश्य होता है इस ‘नोड’ को सुरक्षित बनाना और नेटवर्क को छेड़छाड़ से दूर रखना।

बिटक्वाइन खरीदना
बिटक्वाइन खरीदने या बेचने के लिये इंडिया में आपके पास वोटर आईडी कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड, फोन नंबर और बैंक अकाउंट होना चाहिये। इसके अलावा जैसा कि हम जानते हैं कि बिटक्वाइन रखने और उसके लेन-देन के लिये ई-वॉलेट होना भी ज़ुरूरी है। जिसके बाद आप मोबाइल एप या कुछ ‘वेबसाइट्स’ के ज़रिये बिटक्वाइन की खरीद-फ़रोख्त आसानी के साथ कर सकते हैं। जैसे कि भारत में इसके लिये दो प्रचलित साइट्स जेबपे और यूनोकोइन हैं जहां से बिटक्वाइन को खरीदा-बेचा जा सकता है। 


वेबसाइट्स से बिटक्वाइन खरीदने के लिये पहले उस साइट पर जाकर ‘साइन-अप’ अर्थात् खुद को रजिस्टर करें। इस पर आपसे मोबाइल नं. मांगा जायेगा, उसे दर्ज़ करें। इसके बाद आपसे आधार, पैन आदि कुछ डॉक्यूमेंट्स मांगे जायेंगे, जिन्हें स्कैन करके अपलोड कर दें, और ज़ुरूरी विवरण भी भर दें। इस तरह डॉक्यूमेंट्स जमा करने के बाद चौबीस घंटे के अंदर आपका खाता सक्रिय यानी एक्टिवेट हो जायेगा, जिसका संदेश आपको मेल के ज़रिये भेज दिया जायेगा।


  जैसे ही आपका अकाउंट एक्टिवेट हो जाता है, आपको इसमें अपनी बैंक-डिटेल्स डालनी होती है। ताकि आप बिटक्वाइन खरीदने को उसमें पैसे डाल सकें। अब आप कितने भी रूपये के बिटक्वाइन्स खरीद सकते हैं, पर कम से कम इसके लिये एक हजार रूपये होने ही चाहिये। फिर बिटक्वाइन खरीदने के लिये आपको ‘बाई बिटक्वाइन’ पर क्लिक करना होता है। और ज़ुरूरी प्रक्रिया पूरी होते ही आपके पैसे बिटक्वाइन में बदल जाते हैं। इस तरह कोई भी पैसों से बिटक्वाइन खरीदकर रख सकता है।


बिटक्वाइन की कीमत कई बातों पर निर्भर करती है। इसमें सबसे प्रमुख कारण इसकी मांग-पूर्ति में संतुलन है। और इसका कीमतें पल भर में चढ़ती-गिरती रहती हैं। गौरतलब है कि 2009 में जब बिटक्वाइन लांच हुई थी तब इसकी कीमत 0.060 रूपये थी, आज यह पैंतीस लाख रूपये के आसपास है। विगत अप्रैल में दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी  बिटक्वाइन ने अपना सर्वकालिक सर्वोच्च मूल्य, यानी ऑल टाईम हाई छुआ, जो इक्यावन लाख रूपये तक गया।


सो, क्रिप्टोकरेंसी में निवेश बहुत फ़ायदेमंद भी हो सकता है, और बहुत जोखिम भरा भी। इसे लेकर सरकार और रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर सतर्कता संबंधी अलर्ट ज़ारी किये जाते रहे हैं। तमाम अर्थशास्त्रियों द्वारा इसे एक पोंजी स्कीम भी बताया गया। इसलिये हमें बिटक्वाइन, या कैसी भी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश से पहले उसके बारे में हर तरह से जानकारी कर लेनी चाहिये।

Leave a Reply