भयभीत मुर्गा

Chicken Photo by Kirsten Bühne from Pexels
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 भयभीत मुर्गा संस्मरणीय कहानी!

   एक किसान के पास एक मुर्गा था, एक दिन उसने सोचा, ‘आज तेरा मालिक मुझे मार कर खा जाएगा। क्योंकि, उसने अपने मालिक को अपने साथी मुर्गियों की गर्दन काटते हुए कई बार देखा था और तब से वह डर गया था। किसान ने उसे पास बुलाने और उसकी गर्दन काटने के इरादे से कई मीठे शब्द कहे और अनाज दिखाकर उसे करीब लाने की कोशिश की। लेकिन चूंकि मुर्गा पहले से ही सब कुछ जानता था, इसलिए वह उसकी मीठी बातों में नहीं आया और वही दुबकते हुए बैठ जाता है।

    पास के पिंजरे में किसान का एक बहरा खरगोश था, जिसने इस दृश्य को देखकर मुर्गे से कहा, ‘ओह, तुम कितने मूर्ख और कृतघ्न हो! क्या यह तुम्हारा कर्तव्य नहीं है कि तुम अपने प्रभु के पास जाओ और उसकी बात सुनो? ध्यान दो कि मैं इस मामले में कैसा बर्ताव करता हूं। अगर मै तम्हारी जगह होता, तो मै अपने प्रभु को फिर कभी मुझे बुलाने नहीं देता।’

   मुर्गा जवाब देता है, ‘सचमुच! लेकिन मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि, अगर भगवान आपको अपनी गर्दन को चाकू से काटने और तवे पर मांस भूनने के लिए बुलाते हैं, तो आप भी मेरी तरह छिप जाएंगे, जानेंगे मौत का खौफ’।

क्या कहती है यह कहानी!

-अर्थ और बोध

   यह कहानी एक किसान और मुर्गे के बारे में है। एक किसान के पास कुछ मुर्गिया थी। हररोज वह मुर्गी और मुर्गे कांटता था और खा जाता था। एक दिन उस मुर्गे की बारी आयी तो वह बहोत डर गया। उस किसान ने उसे मनाने के लिए कुछ तरीके किए, मगर वह नाकामयाब हुआ। उस किसान के पास एक खरगोश भी था जो बहिरा था। वह यह नजारा देख उस मुर्गे को राजी करने के लिए सलाह देता है। प्रति उत्तर में मुर्गा उस खरगोश को कहता है,’ जब तुम्हारे कटने की बारी आएगी तो तुम्हे पता चल जाएगा की मौत का डर किस कदर होता है’।

कहानी से सिख :-

ये कहानी यह दर्शाती की, भौतिक परिस्थिति और वस्तुस्थिति हमारे बर्ताव में कैसी बदल जाती है।

   परिस्थिति के अनुसार मानव व्यवहार में परिवर्तन होना स्वाभाविक है, चाहे वह ख़ुशी के पल हो या दर्दनाक भय के।

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