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परोपकारी

Drinking water Photo by Ketut Subiyanto from Pexels: https://www.pexels.com/photo/mother-giving-water-to-child-4933840/
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परोपकारी

एक गाँव में एक गरीब आदमी रहता था। गरीबी के बावजूद वे हृदय से बहुत उदार थे। वह अपनी रोटी से किसी को घास देने में नहीं चूके। एक बार जब वह एक सेठजी के पास भोजन करने गया तो उस सेठजी ने उसे पाँच पकवानों की थाली दी। उस थाली में भरपूर भोजन देखकर गरीब आदमी ने सोचा कि इससे कम से कम तीन लोगों की भूख मिट सकती है। उसने सेठजी की आज्ञा माँगी और भोजन साथ लेकर घर की ओर चल दिया। रास्ते में एक भिखारी मिला और उसे खाना खिलाया। बचा हुआ भोजन लेकर वह घर आया और जैसे ही वह भोजन करने बैठा, एक साधु उस व्यक्ति के घर आया और उससे भोजन दान करने का अनुरोध किया। गरीब आदमी ने सामनेवाली थाली साधु को थमा दी।

उसके बाद एक और विकलांग व्यक्ति दरवाजे पर आया और उसने इस गरीब से खाना मांगा उसे भी अपनी थाली से खाना दिया। अब जब उसके पास देने के लिए कुछ नहीं बचा तो उसने अपनी भूख मिटाने के लिए एक बर्तन में पानी लिया तभी एक बूढ़ा व्यक्ति उसके सामने आया और उससे पानी पीने को कहा! खाने को कुछ न रहने पर भी इस व्यक्ति को इस बात का संतोष था कि आज हमारी वजह से कम से कम चार लोगों को खाने-पीने को मिल गया। जब वह इस बारे में सोच ही रहा था कि भगवान वहाँ प्रकट हुए और कहा, ‘मैंने एक भिखारी, एक याचक, एक अपंग और एक बूढ़े आदमी का रूप धारण किया था, ताकि आप को परख सकें और देख सकें कि, आपको कुछ मिलता है या नहीं और आप दूसरों के जीवन को किसतरह जानते हैं। अपने बारे में सोचे बिना आप देते रहे। अब मैं तुझसे प्रतिज्ञा करता हूँ, कि अब से तुझे जीवन मे किसी चीज़ की कभी कमी न होगी।” इतना कहकर देवताओं ने उसे आशीर्वाद दिया।

क्या कहती है यह कहानी?

-अर्थ और बोध

दरअसल कहानी एक गरीब इंसान की है, जो दिल से बहुत अमीर है। एक वक्त जब वह एक सेठजी के पास खाने पर गया, तो उस सेठ ने उसे विभीन्न पकवानों भरी थाली पेश की। फिर उसने कुछ सोचा और भोजन को अपने घर ले जाकर खाने की सेठजी से इजाजत मांगी। रास्ते चलते एक भिखारी, घर पहुंचते एक साधु और एक अपंग आदमी को सब खाना बाँट दिया। जब अपने लिए कुछ न बचा तो वह सिर्फ पानी पीकर भूख मिटाने लगा, तभी एक बुढा दरवाजे पर आता है और पानी पीने को माँगता है। तभी वह अपने हाथ मे पानी से भरा गिलास उसे सौप देता है। उसे इस बात का बहुत संतोष होता है कि, आज उसकी वजह से औरों को खाना मिल गया।

 तभी वहाँ एक भगवान प्रकट होते है और कहते है कि, उन्होंने किस प्रकार उसकी परीक्षा ली। उससे प्रसन्न होकर उसे कोई कमी नही होगी कहकर वरदान दे देते है। कहानी से यह बोध प्राप्त होता है कि, जीवन मे हमेशा परोपकारी रहना चाहिए। अपने सुख से ज्यादा औरों के भलाई के बारे में सोचें।

Photo by Tugrul Kurnaz from Pexels: https://www.pexels.com/photo/a-young-woman-with-headscarf-holding-a-heart-shaped-snow-6894650/

कहानी से सिख :

देने में ही सच्चा सुख है। किसी से रोटी लेने के बजाय किसी को रोटी कैसे दी जाए, इस सोच में ही असली खुशी छिपी है। जीवन मे हमेशा परोपकारी रहे।

मराठी भाषेत सारांश

ही कथा काय सांगते?

 – अर्थ आणि बोध

 खरं तर कथा एका गरीब माणसाची आहे, जो मनाने खूप श्रीमंत आहे. एकदा ते एका सेठजींकडे जेवायला गेले तेव्हा त्या सेठने त्यांना वेगवेगळ्या पदार्थांनी भरलेली थाली दिली. मग त्याने काहीतरी विचार करून सेठजींकडे जेवण घरी घेऊन जाण्याची परवानगी मागितली.  वाटेतल्या एका भिकाऱ्याला, घरी आल्यावर एका साधूला आणि एका अपंग माणसाला सर्व अन्न वाटून दिले.  जेव्हा त्याच्यासाठी काहीच उरले नाही, तेव्हा तो आपली भूक भागवण्यासाठी फक्त पाणी पिऊ लागला, तेव्हा एक वृद्ध माणूस दारात येतो आणि त्याला पाणी पिण्यास मागतो.  तेव्हा तो पाण्याने भरलेला पेला त्याच्या हाती देतो.  त्यांच्यामुळे आज इतरांना अन्न मिळाल्याचे त्यांना खूप समाधान मिळते.

 तेव्हाच एक देव तेथे प्रकट होतो आणि म्हणतो की त्याने त्याची कशी परीक्षा घेतली, त्याच्यावर प्रसन्न होऊन त्याला वरदान देतो की त्याला कोणतीही कमतरता भासणार नाही.  जीवनात नेहमी दानशूर असायला हवे याची समज या कथेतून मिळते.  स्वतःच्या सुखापेक्षा इतरांच्या कल्याणाचा विचार करा.

 कथेतून धडा:

 देण्यातच खरा आनंद आहे.  कुणाकडून भाकरी घेण्याऐवजी कुणाला भाकरी कशी द्यावी या विचारात खरा आनंद दडलेला आहे.  जीवनात नेहमी परोपकारी रहा.

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