Site icon Chandamama

स्व-नियंत्रण (सेल्फ-कंट्रोल)

Self Control Kid Photo by Ksenia Chernaya from Pexels
Reading Time: 3 minutes

स्व-नियंत्रण (सेल्फ-कंट्रोल)

“वॉव!कितने यमी और टेस्टी हैं चलो दो-चार और खा ही लेता हूँ ” सोचते सोचते अथर्व ने मम्मी के लाये हुये चॉकलेट क्रीम बिस्किट के दो पेकेट ही खत्म कर दिये | क्लास सेवेन्थ मे पढ्ने वाले अथर्व को बर्गर –पिज्जा के साथ बिस्किट्स और चॉकलेट बहुत पसंद थे|हालांकि दाँतो मे केविटी की समस्या और क्लिप लगी होने से और डेन्टिस्ट अंकल की सलाह पर मम्मी उसे सभी तरह के जंक फूड,बिस्किट्स और चॉकलेट कभी-कभार थोडा-बहुत  ही खाने देती थी|पिछले महीने स्कूल मे आए आहार और पोषण विशेषज्ञ ने भी जंक फूड से होने वाले नुकसानो के बारे मे स्टूडेंट्स को बताया था |फिर भी अपने आस-पास हमउम्र दोस्तो को आए दिन ये सब खाते देख उसका मन भी ललचा जाता | एक दिन अथर्व ने मम्मी से कहा ,”मुझे स्कूल का कुछ समान खरदीना हैं फिजिक्स,केमेस्ट्री की फ़ाइल्स,कुछ पेन और फ़ाइल कवर“|

“ठीक हैं,पैसे मेरी पर्स से ले लो लेकिन संभाल कर ले जाना“किचन से ही मम्मी ने कहा |

अथर्व ने स्टेशनरी शॉप से सामान खरीदा,फिर उसकी नजर नजदीकी बेकरी शॉप पर गयी |उसके पास थोड़े पैसे बचे थे,उससे रहा नहीं गया और उसने कुछ क्रीमरोल्स और एक बर्गर खरीदा |

घर पहुँचते ही बचे हुये पैसे मम्मी की पर्स मे रख कर वो स्टडी रुम मे चला गया,चूंकि मम्मी डिनर की तैयारी मे व्यस्त थी सो समान का हिसाब नहीं पूछ सकी|

“ये क्या है बेटा?ठीक से खाना नहीं खा रहे हो तबीयत तो ठीक हैं?“ रात के खाने पर पापा ने पूछा |

“हाँ पापा,वो मैंने शाम को ढेर सारा पानी पी लिया था गर्मी के मारे आजकल प्यास बहुत लगती हैं|अभी भूख नहीं हैं”कहते हुये अथर्व ने असली वजह नहीं बताई |अब तो वह हफ्ते मे दो तीन बार स्कूल के सामान खरीदने के बहाने मम्मी से पैसे ले कर कभी पिज्जा तो कभी हॉट तो कभी बिस्किट्स खाने लगा | धीरे-धीरे वह आलसी और चिड़चिड़ा हो गया ,पूछने पर मम्मी से बहाना बना कर वो बात को टाल जाता | एक दिन मम्मी उसकी बुक्स-शेल्फ व्यवस्थित कर रही थी ,तब उनके हाथ बिस्किट्स-चॉकलेट्स के कई सारे रेपर लगे ,दर असल अथर्व उन्हे फेंकना भूल गया था | अब तक उन्हे सारा माजरा समझ मे आ गया लेकिन वे चुप रही |शाम को पापा के आने पर मम्मी ने सब रेपर टेबल पर रख दिये और पूछा ,”ये सब क्या हैं अथर्व? सच-सच बताओ ”|

”मम्मी,रोज-रोज मुझे घर का वही बोरिंग खाना बिलकुल पसंद नहीं आता|मेरे सभी दोस्त कितनी टेस्टी चीजे खाते हैं|बस एक आप ही हो,जो हमेशा मना करते हो“अथर्व की आवाज मे नाराजगी थी|

“ओके,तो तुम्हें मना करने की वजह भी पता होगी की कैसे इसके ज्यादा खाने से इसमे मौजूद सोडियम(नमक),शुगर और आर्टिफ़िशल फ्लेवर हमारी बॉडी के फेट्स,कोलेस्ट्रॉल और ब्लड-शुगर लेवल को बढ़ा देते हैं?इसके अलावा ये चीजे मैदे से बनती हैं जिनमे फाइबर न होने से बदहज़मी ,पेट-गैस आदि की समस्याये हो जाती |इन चीजों से हमारे शरीर को पौष्टिक तत्व नहीं मिल पाते यह तो “स्लो पोइजन” हैं “मम्मी ने कहा |

“इसके अलावा इनके ज्यादा खाने से हमारे ब्रेन से फ़ील-गुड हार्मोन निकलते जिससे हमे इन्हे बार-बार खाने का मन करता हैं नतीजा ओवरइटिंग और ओबेसिटी|तुम चाहो तो नेट पर सर्च करके  चेक कर लो ,रिसर्च से साबित हो चूका हैं |आजकल तो छोटे बच्चो मे भी डायबिटीज़ जैसी बीमारियाँ हो रही हैं ”पापा ने समझाया|

“बेटा,मनपसंद चीजे सामने देख कर खाने की इच्छा होना गलत नहीं हैं लेकिन अपनी अच्छी सेहत के लिए अनुशासन और खुद पर नियंत्रण भी जरूरी हैं| हाँ कभी-कभी सीमित मात्रा मे खाना ठीक हैं”मम्मी ने प्यार से   कहा|

“और एक बात,यूं बिना बताए ..चोरी-चोरी खाना.. ये तो सरासर गलत आदत हैं,क्यों?“पापा ने अथर्व के सिर पर हाथ फेरते हुये पूछा|

अब तक अथर्व सिर झुकाये मम्मी-पापा की नसीहते सुन रहा था|दरअसल मन-ही मन मे उसे भी अपनी हरकतों पर पछतावा हो रहा था|

“सॉरी पापा!आगे से ऐसा नहीं होगा लेकिन मम्मी कभी-कभी तो आप मुझे परमिशन देंगी ना ?”अथर्व ने पूछा|

“बिलकुल लेकिन यह तय करने की ज़िम्मेदारी तो हमारे होम मिनिस्टर की ही होगी “पापा ने मम्मी की ओर इशारा कर हँसते हुये कहा तो सभी हंस पड़े |अब अथर्व खुद पर नियंत्रण रखना सीख चुका था उसने घर पर बने पौष्टिक खाने को ही चुना जिससे शरीर को सारे पोषक तत्व(विटामिन्स,मिनरल्स आदि )मिल सके कुछ ही दिनो मे वह पहले की तरह स्वस्थ हो गया |

Exit mobile version