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बदलते मौसम में सेहत

Winter @ Photo by Daria Nekipelova from Pexels
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बदलते मौसम में सेहत

 आजकल मौसम बदल रहा है। बदलते मौसम के साथ हमारे शरीर की कीमिया भी बदलती है। ‘इम्यून-सिस्टम’ यानी रोग प्रतिरोधक तंत्र में भी इस दौरान खास बदलाव आते हैं। जिससे लोगों में सर्दी,खांसी,जुकाम,बुखार व अन्य ऐसी ही समस्यायें बढ़ने लगती हैं। बुजुर्ग और बच्चे स्वभावतः इस मामले में विशेष संवेदनशील होते हैं। ज़ाहिर है, इस समय की गई ज़रा सी लापरवाही सेहत के लिये बड़ी परेशानी का सबब बन सकती है। इसीलिये ऋतु-परिवर्तन के इस काल में इन दिक्कतों से बचे रहने के लिये हमें अपनी जीवन-शैली व खानपान की आदतों पर विशेष ध्यान रखना चाहिये। जैसे —


१ हाइड्रेट रहें — अमूमन ठंडी शुरू होते ही हम पानी पीना बहुत कम कर देते हैं; जो सेहत के लिहाज़ से ठीक नहीं। हमारे शरीर में करीब सत्तर फ़ीसदी पानी है। यह शरीर के भीतर चलती रहने वाली जीवन संबंधी तमाम जैव-रासायनिक अभिक्रियाओं में एक महत्वपूर्ण माध्यम का काम करता है। यह हमारे ‘हार्मोनल-बैलेंस’ को भी दुरुस्त रखते हैं। अर्थात् पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से पर्याप्त मात्रा में हार्मोन्स भी निकलते हैं। जो जीवन की सभी क्रियाओं को मौलिक तौर पर प्रेरित या संचालित करते हैं।  सर्दियों में एक व्यक्ति के लिये आठ-दस गिलास पानी पीने पर्याप्त रहता है। अलबत्ता, गर्म करके पीने पर पानी पीने के कई फ़ायदे और होते हैं। इससे न केवल ठंडियों में गर्माहट का अहसास होता है, बल्कि सर्दी-खांसी जैसी व्याधियां पास नहीं फटकतीं। इसके अलावा गर्म पानी पाचक भी होता है, सो भोजन के साथ इसके उपयोग से बदहज़मी नहीं होती। गरम पानी हमें सामान्य संक्रमण से बचाये रखता है। इसलिये मौसम बदलाव के इस दौर में डिहाइड्रेशन से बचे रहने को पानी तो पर्याप्त पीना ही चाहिये, यथासंभव उसे गर्म करके पीना चाहिये।


२ व्यायाम ज़ारी रखें — भारी नहीं तो हल्का-फुल्का ही सही, पर हमें नियमित रूप से कुछ व्यायाम करन की आदत डाल लेनी चाहिये। और उस पर सदैव अटल भी रहना चाहिये। खासकर वे लोग जो दिन भर कोई बहुत मेहनत का काम नहीं करते हैं। कसरत से न केवल हमारा शरीर मजबूत बनता है, बल्कि रक्त-संचार भी सुधरता है। जिससे खून हमारे शरीर के रग-रग और पोर-पोर तक पहुंच जाता है। गौरतलब है कि रक्त-परिसंचरण के ज़रिये ही शरीर की अनगिनत कोशिकाओं तक आवश्यक पोषक-तत्व पहुंचते हैं, और वहां से अपशिष्ट पदार्थ बाहर आते हैं। जिससे शरीर की प्रत्येक कोशिका में फिर से ताज़ापन, एक युवापन आ जाता है। इस तरह व्यायाम की सक्रियता हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी उल्लेखनीय सुधार करती है। हालांकि रक्तचाप व दिल के मरीजों को अक्सर कसरत करने की मनाही होती है। फिर भी वे विशेषज्ञों से सलाह लेकर योग– अर्थात् आसन, प्राणायाम, ध्यान वगैरह, या फिर कुछ ‘एरोबिक्स’ भी कर सकते हैं। प्राणायाम से भी रक्त-परिसंचरण बेहतर होता है, और इससे करीब-करीब उतना ही लाभ पहुंचता है जितना कि किसी कसरत से। और घर के बाहर खेले जाने वाले किसी खेल में उपरोक्त सभी ख़ूबियां इकठ्ठे मिल सकती हैं।


३ नींद पूरी लें — देखें तो सामान्यतः हम अपने जीवनकाल का एक-तिहाई हिस्सा सोने में ही बिताते हैं। नींद का महत्व इसी से पता चलता है। उपनिषदों में स्वास्थ्य के तीन स्तंभ बताये गये हैं, जिनमें आहार और ब्रह्मचर्य के अलावा निद्रा का भी एक स्थान है। वस्तुतः सोते समय हमारे शरीर में अंदरूनी कार्यप्रणाली के ज़रिये पुनर्समायोजन चलता रहता है। यानी कह सकते हैं कि इस समय देह की भीतरी ‘रिपेयरिंग’ होती है। क्योंकि केवल हमारी इंद्रियां ही सोती हैं, बाकी मन और प्राण की क्रियायें तो सतत् चलती रहती हैं। जो नींद के दौरान हमें फिर से तरोताज़ा बनाने हेतु महत्वपूर्ण करण हैं। इसीलिये ज़ुरूरत से कम नींद लेने वालों का ‘इम्यून-सिस्टम’ यानी रोग प्रतिरोधक तंत्र तो कमजोर होता ही जाता है, उनकी सामान्य मानसिकता भी कुछ उलझी-उखड़ी सी हो जाती है। सो, नींद के सवाल को हल्के में लेना देह के साथ ही हमारे दिलोदिमाग की सेहत पर भी भारी पड़ सकता है।  एक व्यक्ति के लिये चौबीस घंटे में आठ से दस घंटे की नींद पर्याप्त मानी जाती है। पर यह समयानुसार और किसी की दैहिक आवश्यकतावश कम-अधिक हो सकती है। प्रसंगतः यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सूर्योदय से पहले का जगना हमारी ‘जैविक-घड़ी’ को दुरुस्त रखता है, और इस तरह हमें स्वस्थ बनाये रखने में महत्वपूर्ण योगदान रखता है।


४ खानपान — यही समय है जब हमें आईसक्रीम, कोल्डड्रिंक्स और अन्य जंकफूड्स को तिलांजलि दे देनी चाहिये। खासकर बदलते मौसम के मिजाज़ से तालमेल बनाने को इनसे बचे ही रहना होगा। बासी भोजन भी त्याज्य है। इस समय हमें अपने आहार में वे चीजें शामिल करनी चाहिये जिनमें इम्यून-सिस्टम को मजबूत करने वाले तत्व हों। जैसे विटामिन्स। और खासकर विटामिन-सी, क्योंकि यह हमारे इम्यून-सिस्टम को बनाने में एक ‘की-फ़ैक्टर’ की भूमिका अदा करता है। लोगों में विटामिन-सी की कमी अक्सर इसलिये भी दिखती है कि यह गर्म करने पर नष्ट हो जाती है, और कच्चे फलों-सलादों आदि से ही प्राप्त किया जा सकता है। आंवला इस मौसम का सर्वोत्तम फल कहा जा सकता है, जिसमें विटामिन-सी सर्वाधिक प्रचुर मात्रा में होता है। इसी तरह विटामिन ए,बी,डी,ई और कुछ खनिज-तत्वों के भी अपने महत्वपूर्ण काम हैं। इस बदलते मौसम में रोजाना हल्दी वाला दूध या ‘गोल्डेन मिल्क’ लेना भी प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत बनाने में काफी मुफ़ीद रहता है।


 इसके अलावा यदि हम कोरोनाकाल में अपनाई गई, या विशेषज्ञों द्वारा सुझाई गई जीवन-शैली और खानपान की अपनी आदतों को बरकरार रखें, तो ये मौसम का सामान्य बदलाव हमें कोई तकलीफ़ न देगा। बल्कि तब हम इन सर्दियों का पूरा आनंद ले सकते हैं..

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